शिक्षा एक बौद्धिक साधना ही नहीं, वरन बालक की सुषुप्त शक्तियों को जाग्रत करने का आधार है | ज्ञान के द्वारा बौद्धिक विकास, गरिमामयी व्यक्तित्व के द्वारा चरित्र एवं सामाजिक परम्पराओं के द्वारा संस्कृति की त्रिवेणी मानव जीवन को तीर्थराज बनाती है | शिक्षा का उद्देश्य सत्य की खोज ही नहीं वरन एक ऐसी युवा पीढ़ी का निर्माण करना है जिसके द्वारा वह वर्तमान की चुनौतियों का सफलता पूर्वक सामना कर सके | विद्यालय में यह कार्य कुशल प्रबंध तंत्र एवं योग्य शिक्षकवृंद के मार्गदर्शन में किया जा रहा है | हमारा लक्ष्य है कि विद्यालय में छात्रायें शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक व आध्यात्मिक शकितयों का विकास कर स्वयं को श्रेष्ठ बनाकर मानवीय मूल्यों का आत्मसात कर प्रगति-पथ पर अग्रसर हों |